अकाली दल अध्यक्ष ने यह भी कहा कि मूंगफली और मक्का के एमएसपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, इन फसलों की एमएसपी पर खरीद के लिए कोई व्यवस्था तय नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि पंजाब और देश के अन्य हिस्सों के किसानों को निजी खिलाड़ियों की दया पर छोड़ दिया गया है क्योंकि केंद्र सरकार इन फसलों को एमएसपी पर नहीं खरीद रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब के मामले में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा जब उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान की अपील पर बड़े पैमाने पर मूंगफली के बीज तो ले लिए, लेकिन उसकी एमएसपी पर खरीद नहीं की गई और सरकार अपने वादे से भाग गई |
धान के एमएसपी में किस तरह से बढ़ोतरी की गई है, इस पर बात करते हुए सुखबीर बादल ने कहा कि एमएसपी की गणना करते समय भूमि की लागत, व्यापक लागत (सी -2) सहित इसकी अनुबंध लागत की सार्वजनिक रूप से गणना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को सही लगता है कि उनका उचित सम्मान नहीं किया जा रहा है और अगर इस सी-2 की गणना ठीक से नहीं की गई तो उन्हें सी-2 पर 50 प्रतिशत लाभ के साथ-साथ देय एमएसपी का लाभ भी नहीं मिलेगा। उन्होंने 14 ख़रीफ़ फसलों पर आई लागत के अनुसार सी-2 के साथ 50 प्रतिशत लाभ की गणना करके एमएसपी की गणना के लिए एक समिति के गठन की वकालत की और इस समिति में किसान प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि इस समिति का गठन तुरंत कर दिया जाए और इसके लिए अपनी सिफारिशें देने का समय तय कर दिया जाए तो सभी खरीफ फसलों पर एमएसपी ठीक से तय किया जा सकता है।
सरदार बादल ने वस्तु की उत्पादन लागत की गणना सही तरीके से किये जाने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं होगा, कृषि क्षेत्र आर्थिक संकट से बाहर नहीं आ पायेगा और प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकेगा. इस साल के अंत तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा नहीं होगा ||