पेंशन के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बेटियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। एक तलाकशुदा बेटी अपने पिता की सेना और बाद में किसी अन्य संस्थान में सेवा के कारण पेंशन की हकदार है। इस मामले में महिला की मां और पिता दोनों की मौत हो चुकी है|
पेंशन के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बेटियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। एक तलाकशुदा बेटी अपने पिता की सेना और बाद में किसी अन्य संस्थान में सेवा के कारण पेंशन की हकदार है। इस मामले में महिला की मां और पिता दोनों की मौत हो चुकी है|
कोर्ट ने अपने फैसले के तहत पूर्व सैनिक की तलाकशुदा बेटी को दोहरी पारिवारिक पेंशन का हकदार करार दिया है. चंडीगढ़ कोर्ट ने इस संबंध में हरियाणा सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं. इसके मुताबिक तलाकशुदा बेटी को दोगुनी पेंशन दी जा सकती है. इसका मतलब यह है कि एक तलाकशुदा बेटी अपने माता-पिता को प्रदान की गई नागरिक और सैन्य सेवाओं के आधार पर पेंशन प्राप्त कर सकती है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार बकाया रकम भी जारी करे|
दरअसल, इस मामले में हरियाणा सरकार ने एक तलाकशुदा महिला को उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद पेंशन देने से इनकार कर दिया था. इस महिला को सेना से पेंशन मिल रही थी. यह मामला है अंबाला की नीलम कुमारी का, जिनके पिता मंगत राम सेना से रिटायर होने के बाद पेंशन पा रहे थे और बाद में परिवहन विभाग में नौकरी की।
यहां 27 साल तक काम किया. उनकी पेंशन भी बकाया थी. वह 1985 में सेवानिवृत्त हुए। 1992 में निधन हो गया. मां को पेंशन मिलने लगी. 2017 में नीलम की मां की भी मौत हो गई. अब नीलम को पेंशन दी जाने लगी क्योंकि उसकी मां की मृत्यु के बाद उसका तलाक हो गया था। लेकिन सरकार ने दूसरी पेंशन रद्द कर दी|
हालांकि फरवरी 2014 से पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन बाद में दोहरी पेंशन का नियम बना दिया गया. इसके तहत पंजाब सिविल सेवा नियम धारा-2 में संशोधन किया गया। इस संशोधन के तहत सरकारी कर्मचारियों की विधवाओं को दोहरी पेंशन पाने का अधिकार जोड़ा गया।
जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने कहा कि 1964 की योजना के मुताबिक पारिवारिक पेंशन उन लोगों को दी जा सकती है जो कानूनी उत्तराधिकारी हैं. (एजेंसियां इनपुट)