राम मंदिर को लेकर सारी तैयारी कर ली गई है। आज प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हो रहा है। अब जिस तरह से और जिस स्तर पर उस कार्यक्रम को लेकर आयोजन किया जा रहा है, उसके सियासी मायने निकलना लाजमी है। लोकसभा चुनाव बिल्कुल नजदीक है, ऐसे में मंदिर पॉलिटिक्स के जरिए भी BJP इंडिया गठबंधन को घेरना चाहती है। अब तो वैसे भी कई विपक्षी दलों ने क्योंकि इस मंदिर कार्यक्रम से दूरी बना ली है, ऐसे में BJP काफी आसानी से उन्हें हिंदू विरोधी बता कर एक विशेष वर्ग को अपने पाले में करना चाहती है। अब BJP इस मंदिर पॉलिटिक्स की राह पर जरूर चली है, लेकिन उसका ये मानकर चलना कि इसी राम मंदिर के जरिए उसे 400 प्लस सीटें मिल जाएंगी, ये गलत है। नेरेटिव अपनी जगह लेकिन जो तथ्य हैं, वो कुछ अलग ही कहानी बयां करते हैं। ये बात अब जग जाहिर हो चुकी है कि हिंदी पट्टी राज्यों में BJP विपक्ष के मुकाबले ज्यादा मजबूत स्थिति में है। बात चाहे 2014 के चुनाव की हो या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव की, पार्टी ने हिंदी भाषी राज्यों में एक तरह से क्लीन स्वीप किया था।
अगर हिंदी पट्टी राज्यों के साथ दक्षिण के कर्नाटक को भी जोड़ लिया जाए तो BJP ने 2019 के चुनाव में 211 सीटें अपने नाम की थी। 2014 में ये आंकड़ा 210 सीटों का था। लेकिन बड़ा खेल ये रहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में BJP का वोट शेयर 12 फिसदी के करीब बढ़ गया, लेकिन सीटों में बढ़ोतरी सिर्फ एक रही। अब यही BJP की सबसे बड़ी चिंता भी है, उसे भी इस बात का एहसास है कि बढ़े हुए वोट बैंक का मतलब ये नहीं कि सीटों में भी उतना ही इजाफा हो जाएगा।