पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान और मिजोरम) में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों पर पूरे देश की नजर है. इसे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सत्ता का सेमीफाइनल तक कहा जा रहा है. चुनाव आयोग ने भी मतदान को शांतिपूर्वक और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए तमाम तैयारियां की हैं. हालांकि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराना इतना आसान नहीं होता, आय़ोग कई महीनों से इसकी तैयारी में लगा था.
अब हम आपको बताएंगे उस चुनाव के बारे में जो देश के लिए भी नया था और वोट डालने वालों के लिए भी. हम बात कर रहे हैं स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव की. आजादी के बाद हुए भारत के पहले चुनाव में लोकसभा की 497 और अलग-अलग विधानसभाओं की 3,283 सीटों के लिए मतदान हुआ था. तब 17 करोड़ 32 लाख 12 हजार 343 वोटर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन सबसे बड़ी हैरानी की बात ये थी कि इनमें से 10 करोड़ 59 लाख लोग पढ़े लिखे नहीं थे. पर इन्होंने बढ़चढ़कर चुनाव में भाग लिया. ये चुनाव करीब 4 महीने (25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952) में संपन्न हुए.
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