दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1943 में बंगाल में भीषण अकाल पड़ा जिसने स्वामीनाथन को झकझोर कर रख दिया। स्वामीनाथन पहले जूलॉजी की पढ़ाई कर रहे थे लेकिन अकाल को देख कृषि के साथ सफर बढ़ाने का निर्णय किया।भारत में कृषि क्रांति के जनक और प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन नहीं रहे। 98 साल के स्वामीनाथन का चेन्नई में गुरुवार सुबह 11.20 बजे निधन हो गया। देश को अकाल से उबारने और किसानों को मजबूत बनाने वाली नीति बनाने में उन्होंने अहम योगदान निभाया था। उनकी अध्यक्षता में आयोग भी बनाया गया था जिसने किसानों की जिंदगी को सुधारने के लिए कई अहम सिफारिशें की थीं। आइये जानते हैं एमएस स्वामीनाथन के बारे में.
कौन थे एमएस स्वामीनाथन?
प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी में साल 1925 में हुआ था। स्वामीनाथन 11 साल के ही थे जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया। उनके बड़े भाई ने उन्हें पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया। उनके परिजन उन्हें मेडिकल की पढ़ाई कराना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरुआत प्राणि विज्ञान से की।
खेतीबाड़ी वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में निधन
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