पंजाब में मनरेगा को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है. कभी मजदूरों को काम कराकर भुगतान नहीं किया जाता था तो कभी जिन लोगों से निर्माण व अन्य सामान खरीदा जाता था उन्हें बिल्कुल भी भुगतान नहीं किया जाता था। इसके कारण बाद में माल की आपूर्ति बंद हो गई और परियोजनाओं को छोड़ दिया गया। लेकिन अधिकारियों ने परियोजना के पूरा होने के बारे में एक रिपोर्ट भेजी और कैग के अधिकारियों ने मौके पर जाकर देखा कि परियोजना अधूरी है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की वर्ष 2023 की पहली रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से 2021 तक मनरेगा के तहत विभिन्न परियोजनाओं के लिए 743 करोड़ रुपये का माल खरीदा गया, जिसमें सीमेंट, ईंट, सरिया और अन्य सामान शामिल हैं। इनमें से 381.42 करोड़ रुपए का भुगतान माल के आपूर्तिकर्ताओं को नहीं किया गया है। परिणामस्वरूप, आपूर्तिकर्ताओं ने और माल उपलब्ध कराने से मना कर दिया और परियोजनाएँ अधूरी रह गईं। इसके अलावा रिकॉर्ड भी पूरी तरह से नहीं रखा जाता है।