आखिर क्यों UPSC के प्र्शन पत्र को बनाते वक़्त सावधानी नहीं बरती जाती…
UPSC एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है जो भारत की केंद्र और राज्य सरकार के तहत 24 सेवाओं में भर्ती के लिए जिम्मेदार है. UPSC Exam भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है.
UPSC अर्थात Union Public Service Commission के चयनित उम्मीदवार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय राजस्व सेवा (IRS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) आदि पदों पर भर्ती किये जाते हैं. UPSC level A और Level B officers की विभिन्न क्षेत्रों में भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन करता है. UPSC हर साल सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है.
हर साल लाखों उम्मीदवार UPSC परीक्षा के लिए उपस्थित होते हैं. स्टूडेंट्स के बीच यह काफी लोकप्रिय परीक्षा है, जिसका कारण अच्छा वेतन लाभ और सम्मानजनक पद है.
यही पर बात आती है की जब यह परीक्षा इतनी जरूरी होती है तो आखिर क्यों इसके प्र्शन पत्र को बनाते वक़्त सावधानी नहीं बरती जाती, आखिर क्यों किया जाता है दूसरी भाषा पड़ने वाले बच्चों के भविष्य और मेहनत के साथ खिलवाड़।
UPSC का प्रश्न पत्र अंग्रेजी में तैयार किया जाता है, फिर उसे हिंदी भाषा में ट्रांसलेट किया जाता है। पेपर को हिंदी भाषा में ट्रांसलेट करते समय अक्सर बहुत सी गलतियाँ निकलती है, जिससे स्टूडेंट्स को प्रॉब्लम होती है।
अब हिंदी भाषा के स्टूडेंट्स का कहना है की क्या अब उनको हर एक पेपर का जवाब देने से पहले अंग्रेजी में लिखे प्र्शन के साथ टैली करना पड़ेगा? ये कहा तक जायज है।
Looking at #upscprelims2020 paper 1.
The paper setter seems to Environmentalist farmer. 😂😂😂
— Adv. Er. Mrutyunjay Joshi 🇮🇳 (@MrutyunjayNJ) October 4, 2020
UPSC 2020 के प्र्शन पत्र में जहां इंग्लिश में प्रश्न था सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट पर इसे दूसरी और हिंदी में असहयोग आंदोलन में छाप दिआ गया। जब की हिंदी में सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट के स्थान पर ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ आना था। इतनी बड़ी गलती और खामियाजा भुगतना पड़ता है स्टूडेंट्स को क्योकि पेपर इंग्लिश प्रश्नो के हिसाब से चेक किया जाता है।
वैसे तो उपस्क का पेपर हमेशा एक सा नहीं आता कभी समाजिक तो कभी राजनितिक प्रश्नो की भरमार होती है और इस बार कृषि के प्रश्नो की भरमार थी। जिसमे कृषि , एम् एस पी, वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी, प्रकर्ति पर प्रश्न थे। इसमें इस बार मेडीवाल हिस्ट्री गायब रही। करंट अफेयर के बस 4-5 क्वेश्चन थे।
उपस्क के पेपर को लेकर ट्विटर पर लोगो ने इसके मज्जे भी लिए और कुछ ने ऐसे सरहाया। कहते है कमीशन 3-4 साल बाद पेपर का पैटर्न बदल देता है। इस बार पेपर देने वाले उमीदवारो का कहना है की पेपर मुश्किल था और इस बार शयद कट ऑफ भी कम जाएगी।
कल UPSC Civil Services 2020 की प्रारम्भिक परीक्षा मे Civil Disobedience Movement का हिंदी अनुवाद असहयोग आंदोलन दिया गया है, और नियमों के अनुसार विरोधाभास की स्थिति में English में दिया गया क्वेस्चन माना जाएगा @DrKumarVishwas #upscprelims2020 pic.twitter.com/G1ZDuswWrY
— RaMo (@RaMoSirOfficial) October 5, 2020