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चीन के वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना का संक्रमण 2012 में हुआ था शुरू

कोरोना वायरस इन्फेक्शन के मामले सामने आने लगे जिसने अब तक दुनियाभर में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है…

चीन के वैज्ञानिकों ने किया कोरोना के मामले में एक नया खुलासा। पिछले साल नवंबर से चीन के वुहान में कोरोना वायरस इन्फेक्शन के मामले सामने आने लगे जिसने अब तक दुनियाभर में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि कोविड-19 दरअसल 7 साल पहले 2012 में ही पैदा हो गया था। इस दावे के मुताबिक चीन में ही एक खदान में 6 मजदूर निमोनिया जैसे वायरस से पीड़ित हुए थे जो चमगादड़ का मल साफ कर रहे थे। इनमें से तीन की मौत हो गई थी। खास बात यह है कि इस वाकये का भी वुहान की लैब से कनेक्शन था।

वैज्ञानिकों को पता लगा है कि चीन के दक्षिणपश्चिम के युन्नान प्रांत की मोजियांग खदान में ये 6 मजदूर बीमार पड़े थे। ये लोग खदान में चमगादड़ का मल साफ कर रहे थे। ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक इन मजदूरों का इलाज करने वाले फिजिशन लू सू ने पाया था कि मरीजों को तेज बुखार, सूखी खांसीं, हाथ-पैर में दर्द और कुछ मामलों में सिरदर्द था। ये सभी लक्षण आज कोविड-19 के हैं। यह खदान वुहान से 1000 मील दूर है लेकिन इस घटना के तार फिर भी वुहान की बायोलॉजी लैब से कनेक्शन था।

वायरॉलजिस्ट जोनाथन लैथम और मॉलिक्यूलर बायॉलजिस्ट ऐलिसन विल्सन बायोसाइंस रिसॉर्स प्रॉजेक्ट के लिए इथका में काम करते हैं और उन्होंने ली शू की थीसिस पढ़ी है। उन्होंने बताया है कि थीसिस में जो सबूत हैं उन्हें देखने के बाद वे महामारी को नई तरह से समझ रहे हैं। जोनाथन ने दावा किया है कि मजदूरों के सैंपल टिशू वुहान लैब भेजे गए थे और उन्होंने न्यूयॉर्क पोस्ट से बातचीत में दावा किया है कि वहीं से वायरस लीक हुआ। यहां इस बात का पता लगाया गया था कि चमगादड़ से ही यह घातक वायरस निकला है।

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