कोरोना काल मे पिता का धंधा चौपट हुआ और इसकी प्रतिभा घर में ही घुटकर रह गई।
आंखों से दिखाई नहीं देता है, लेकिन हुनर ऐसा कि दृष्टिबाधित टी–20 टूर्नामेंट मे इंग्लैड के खिलाफ मैच खेला। आज सर्टिफिकेट्स घर की शोभा बढ़ा रहे है और ये नेत्रहीन सड़क पर चना बेचने को मजबूर है। कोरोना काल मे पिता का धंधा चौपट हुआ और इसकी प्रतिभा घर में ही घुटकर रह गई।
हाथों में क्रिकेट का बैट पकड़े देखकर कोई कह नहीं सकता है कि चंदन गुप्ता नाम के इस युवक को दिखाई नहीं देता है। क्रिकेट में प्रदर्शन इतना शानदार रहा कि दृष्टिबाधित क्रिकेट टी– 20 टूर्नामेंट में इंग्लैड के खिलाफ तक खेलने का मौका मिला। जिला और स्टेट लेवल पर कई मैच खेले, लेकिन अब पूंजी के नाम पर सिर्फ सर्टिफिकेट औऱ कुछ यादें ही बची हैं। ये दास्तान हैं, सोनभद्र के शक्तिनगर में रहने वाले इस क्रिकेटर की। जो घर का गुजारा लईय्या चना बेचकर होता था, करोना काल मे वो भी खत्म हो गया। अब आर्थिक स्थिति बेहद खराब है और खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है।
अपने जीवन में स्कूल और जिला स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन कर 2017 में यूपी की दृष्टि बाधित उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंग टीम में चंदन गुप्ता का चयन हुआ था। 2017 में उत्तराखंड राज्य के देहरादून में आयोजित नार्थ जोन क्रिकेट टूर्नामेंट में इनको प्रतिभाग करने का मौका मिला है। इस दौरान चंदन ने बेहतरीन प्रदर्शन कर सुर्खियां बटोरी और आगे अंतरराष्ट्रीय मैच में अपना दमखम दिखाया ।
लेकिन वर्तमान में हालात इस कदर बिगड़े की परिवार की माली हालत खराब होने की वजह से परिवार चलाने के लिए अब चंदन गुप्ता को सड़क किनारे लईय्या चना भुजकर दुकान चलनी पड़ रही है, जिससे परिवार की भूख मिट सके। फिलहाल मदद के लिए चंदन ने सीएम औऱ पीएम के साथ क्रिकेट एकेडमी को खत लिख है। अब इंतजार है मदद का शायद कोई मदद कर दे औऱ वह फिर से देश के लिए खेल सके।