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राम मंदिर पर नया विवाद, क्या रुक जाएगा निर्माण !

Ram mandir

9 नवंबर 2019 इस दिन राम जन्म भूमि और बाबरी मज्जिद का विवाद खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने विवादित जमीन 2.77 एकड़ जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को दे दिया। कोर्ट ने आगे कहाँ की मुस्लिम पक्षकार यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन दी जाये मज्जिद के लिए ये काम सरकार करेगी। इस फैसले के बाद सब कुछ शांति पूर्वक निपट गया था। लेकिन अब जब राम मंदिर के निर्माण के लिए जमीन को समतल किया जा रहा है। तब कुछ वामपंथी इसको लेकर विवाद खड़ा कर रहे है

मामला क्या है , जमीनी समतल के दौरान जब मंदिर से जुड़े अवशेष मिले तो एक बार फिर वामपंथी नेता सक्रिय हो गए दरसल सीपीआई की पोलित ब्यूरो की सदस्य सुभाषिनी अली ने एक पुराना लेख शेयर कर के अयोध्या राम मंदिर विवाद में ‘ट्विस्ट’ की बात की। उन्होंने दावा किया कि अयोध्या राम मंदिर की जगह बौद्ध विहार था।

 

खुदाई के दौरान मिले तथ्य
खुदाई के दौरान मिले तथ्य

राम मंदिर पर नया विवाद, क्या रुक जाएगा निर्माण !अब सवाल आता है। इस दावा का क्या मतलब है , ऐसा नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई नहीं हुई थी। सुभाषिनी अली ने जो ख़बर शेयर की है, वो 2018 की है, जब अयोध्या के ही विनीत कुमार मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर वहाँ बौद्ध स्थल होने की बात कही थी। जिस तरह सुनवाई के बाद वहाँ मस्जिद वाला मामला रिजेक्ट हो गया, ठीक उसी तरह ये याचिका भी नकार दी गई।

आपको बताता चाहेंगे . विनीत कुमार मौर्य ने 2002-03 (ASI ) एएसआई द्वारा उस जगह पर की गई खुदाई के आधार पर यह दावा किया है. एएसआई ने विवादित स्थल पर चार बार खुदाई करवाई थी. जिसमें पता चला है कि वहां ऐसे स्तूप, दीवार और खंभे थे, जो बौद्ध विहार की निशानी हैं.” मौर्य ने कहा था , “वहां 50 गड्ढों की खुदाई हुई है. जिसमें किसी भी मंदिर या हिंदू धर्म से संबंधित ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं. इस आधार पर विनीत कुमार ने ये दावा किया था। लेकिन बाद में इस याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था और अब इसी आर्टिकल के सहारे वामपंथी राम मंदिर के निर्माण को रोकना चाहते है।

खुदाई के दौरान मिले तथ्य
खुदाई के दौरान मिले तथ्य

आपको बता दे सुभाषिनी अली तो ख़ुद को नास्तिक बताती हैं और कहती हैं कि किसी भी धर्म में उनका कोई इंटरेस्ट नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि कुछ धर्मों में काफी कड़े नियम बना दिए गए हैं। अगर उनकी किसी भी धर्म में रूचि नहीं है तो फिर अचानक से बौद्ध धर्म से उनका प्रेम कैसे सामने आ गया? इसकी वजह आने वाला चुनाव है या फिर कुछ और ये आप बेहतर समझ सकते है

वही भगवान बुद्ध ने जिस ‘अहिंसा परमो धर्मः’ का उपदेश दिया, वो श्री कृष्ण द्वारा ही कहा गया था। इस हिसाब से हिन्दू धर्म और बौद्ध, ये दोनों ही प्राचीन सनातन संस्कृति के छत्र तले आगे बढ़े हैं।

जाते जाते आपको ये बता देते है की आखिर : सुभाषिनी अली कौन है। सुभाषिनी अली के उनके माता-पिता प्रेम सहगल और लक्ष्मी सहगल सुभाष चन्द्र बोस की ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ में कार्यरत थे। उनके तलाकशुदा पति मुजफ्फर अली जाने-माने फिल्मकार हैं, जिन्होंने ‘उमराव जान’ नामक चर्चित फिल्म का निर्देशन किया था। दोनों में तलाक हो चुका है और वो अलग रहते हैं। सुभाषिनी, बृंदा करात के अलावा पोलित ब्यूरो में अकेली महिला हैं।

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