News

ईद के दिन मस्जिद नहीं खुलेगी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा हर काम के लिए कोर्ट आना उचित नहीं

ईद के दिन मस्जिद नहीं खुलेगी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा हर काम के लिए कोर्ट आना उचित नहीं

कोरोना वायरस के संक्रमण को सिमित रखने के लिए देश में लॉक डाउन किया गया है और इस बात का प्रशासन को खासा जिम्मा दिया गया है की वो अपने जिलों में कहीं भी भीड़ को इक्कठी ना होने दे। जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सके। प्रशासन ने कोरोना वायरस के महामारी तक मंदिर मज्जिद एवं सभी धार्मिक स्थल बंद कर रखे है। जिससे लोग धार्मिक जगह पर इकठ्ठे ना हो और इसी को लेकर कई लोगों ने इलाहबाद हाई कोर्ट में एक याचिक डाल कर मज्जिदों को खोलने की बात कही है जिसको लेकर कोर्ट ने याचिका करता को फटकार लगाई है

दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ईद के दिन मस्जिदों को नमाज खोलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में वह हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। याचिकाकर्ता पहले उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध करें। हाई कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यूपी सरकार अगर इस मामले में आवेदन खारिज करती है या पेंडिंग रहता है तब ही हाई कोर्ट के पास आएं। इस तरह सीधे हाई कोर्ट आना ठीक नहीं है। उत्तर प्रदेश में ईद के दिन मस्जिदों और ईदगाहों को एक घंटे की खोलने की अनुमति मांगने वाली एक पीआईएल हाई कोर्ट इलाहाबाद में दायर की गई थी। यह याचिका शाहिद अली ने दाखिल की थी।

बुधवार को याचिका पर चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की बेंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि ईद के दिन मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ना जरूरी होता है। अगर ऐसा न किया जाए तो इबादत पूरी नहीं होती है।
अर्जी में यह भी कहा गया कि ईद की दिन नमाज के लिए उत्तर प्रदेश के ईदगाह और मस्जिद नमाज के लिए एक घंटे खोलने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा इसमें यह भी मांग की गई कि जून महीने तक जुमे के नमाज (शुक्रवार) के लिए मस्जिद एक घंटे खोलने की भी इजाजद दें।

हाई कोर्ट ने कहा यूपी सरकार से करें अनुरोध बेंच ने कहा कि इस मामले में सीधे हाई कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। मामला सरकार से जुड़ा है इसलिए पहले यूपी सरकार से अनुरोध करें। अगर यूपी सरकार इस मामले में अनुमति देने से इनकार करती है या फिर मामला पेडिंग रखती है तब ही याचिकाकर्ता हाई कोर्ट में अर्जी दे सकते हैं। बेंच ने कहा कि हर मांग के लिए सीधे हाई कोर्ट आना उचित नहीं।

Comment here

Verified by MonsterInsights