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यूपी में अजान पर इलाहाबाद कोर्ट का बड़ा फैसला, योगी सरकार को झटका

यूपी में अजान पर इलाहाबाद कोर्ट का बड़ा फैसला योगी सरकार को झटका

भारत देश कोरोना वायरस नाम की महामारी से लड़ रहा है। इस बीच सभी राज्यों में महामारी से बचाव के लिए सभी तरह की कारगर नीतियां अपनाई जा रही है। प्रशासन कोरोना वायरस से बचाव के लिए तरह तरह की पाबन्दी लगा रहा है। लेकिन इस बीच प्रशासन कई बार ऐसा आदेश दे देता है। जिससे लोग संतुष्ट नहीं होते और ऐसा ही हालही में उत्तर प्रदेश में हुआ

दरअसल गाज़ीपुर, हाथरस और फर्रुखाबाद के जिलाधिकारियों ने मौखिक आधार पर जिले में मज्जिदो में अजान पर रोक लगा दी थे। जिसको लेकर इलाहबाद हाई कोर्ट का फैसला आया और सभी जिला अधिकारीयों के आदेश को रद्द कर दिया गया जिसके जरिए इन जिलों में मस्जिदों से अजान पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मस्जिदों में अजान से कोविड-19 की गाइडलाइन का कोई उल्लंघन नहीं होता है। फैसले में कहा गया कि अजान इस्लाम का एक आवश्यक और अभिन्न हिस्सा हो सकता है लेकिन लाउडस्पीकर या ध्वनि बढ़ाने वाले किसी अन्य उपकरण के जरिए अजान बोलने को इस धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता है।

अदालत ने कहा कि इसलिए किसी भी परिस्थिति में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हालांकि न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने कहा कि मस्जिद की मीनारों से मुअज्जिन ‘एंप्लीफायर’ वाले उपकरण के बिना अजान बोल सकते हैं और प्रशासन को कोविड-19 महामारी रोकने के दिशानिर्देश के बहाने इसमें किसी तरह का अवरोध उत्पन्न नहीं करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने कहा कि प्रशासन इसमें तब तक अवरोध पैदा नहीं कर सकता जब तक कि ऐसे दिशानिर्देशों का उल्लंघन न किया जाए।

हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ उन्हीं मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल हो सकता है, जिन्होंने इसकी लिखित अनुमति प्रशासन से ले रखी है। कोर्ट ने कहा कि जिन मस्जिदों के पास अनुमति नहीं है, वह लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए आवेदन कर सकती हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि लाउडस्पीकर की अनुमति वाली मस्जिदों में भी ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।

रमजान के दौरान गाजीपुर के डीएम ने लॉकडाउन में मस्जिदों से अजान पर मौखिक आदेश से रोक लगा दी थी। आदेश के खिलाफ गाजीपुर से बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी ने ईमेल के जरिए हाई कोर्ट को पत्र भेजकर शिकायत की थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील सैयद वसीम कादरी ने भी इसी मामले में याचिका दाखिल की थी। इसके बाद ऐसा ही मामला हाथरस और फर्रुखाबाद जिलों से भी आया। हाथरस और फर्रुखाबाद जिलों में इसी तरह की रोक के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने पत्र याचिका दाखिल की थी।

तीनों जिलों में डीएम ने मौखिक आदेश से अजान पर रोक लगा रखी थी। इस मामले में सरकार की ओर से अडिशनल ऐडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने बहस की। उन्होंने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा था कि अजान से लोगों के मस्जिदों में इकठ्ठा होने और लाक डाउन के उल्लंघन का खतरा है। जिसका याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सैयद सफदर अली काजमी ने विरोध किया। और कहा की ये आदेश संविधान के अनुच्छेद 25 और 19 का हनन करता है जिसके बाद कोर्ट ने सभी जिला अधिकारीयों के आदेशों को रद्द कर दिया ,इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 5 मई को दोनों पक्षों को सुनने के बाद जजमेंट रिजर्व कर लिया था। जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए याचिकाएं निस्तारित कर दी हैं।

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