सरकार ने देश में अवैध रूप से घुसे हुए लोगों को बाहर निकालने के लिए एक कानून बनाया था जिस कानून के तहत देश में अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालने की तैयारी थी। लेकिन बाद में इस कानून का विरोध जोरो से होने लगा। कानून के समर्थक और विरोध के मद्देनजर बीती 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस हिंसा में करीब 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही दंंगों के दौरान कई मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया। दंगों की चपेट में आने से दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई थी। वहीं, दंगाईयों ने आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दिया था। ताहिर हुसैन पर हिंसा भड़काने और आईबी के हेड कांस्टेबल की हत्या का आरोप है। दंगों के दौरान हुसैन की घर की छत पर पत्थर, गुलेल और पेट्रोल बम मिले थे। एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें दंगाई छत से पत्थर और पेट्रोल बम नीचे बरसा रहे थे।