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अमेरिका ने लगाई who की फंडिंग पर रोक !

Corona Virus

अमेरिका में कोरोना वायरस के कारण अबतक 4,34,791 लोग संकर्मित है अबतक अमेरिका में 14,802 लोगों की मौत हो चुकी थी। अमेरिका इस समय कोरोना वायरस के सामने बेबस खड़ा है। लेकिन इस बीच अमेरिका में हो रही सभी मौतों का जिम्मेवार ट्रम्प ने WHO को ठहराया है इस पूरे महासंकट को लेकर डब्‍ल्‍यूएचओ से काफी नाराज चल रहे ट्रंप ने ऐलान किया है कि वह इस वैश्विक संस्‍था की फंडिंग को रोकने जा रहे हैं।

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने पिछले दिनों ट्वीट करके आरोप लगाया, ‘डब्‍ल्‍यूएचओ को मिलने वाले वित्तपोषण का अधिकांश या सबसे बड़ा हिस्सा हम उन्हें देते हैं। जब मैंने यात्रा प्रतिबंध लगाया था तो वे उससे सहमत नहीं थे और उन्होंने उसकी आलोचना की थी। वे गलत थे। वे कई चीजों के बारे में गलत रहे हैं। उनके पास पहले ही काफी जानकारी थी और वे काफी हद तक चीन केंद्रित लग रहे हैं।’ ट्रंप इतने पर ही नहीं रुके और उन्‍होंने डब्‍ल्‍यूएचओ को दिए जाने वाले अमेरिकी फंड पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया।
ट्रम्प ने कहा था, ‘हम डब्ल्यूएचओ पर खर्च की जाने वाली राशि पर रोक लगाने जा रहे हैं। हम इस पर बहुत प्रभावशाली रोक लगाने जा रहे हैं।’ अमेरिकी राष्‍ट्रपति के इस ऐलान के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक एकता की अपील की है। डब्‍ल्‍यूएचओ के मुखिया टेड्रोस ने अमेरिका से आरोप-प्रत्यारोप के खेल में लिप्त होने के बजाय चीन के साथ मिलकर बीमारी का मुकाबला करने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा, ‘यदि आप और लाशें नहीं देखना चाहते हैं, तो आप इसका राजनीतिकरण न करें। यह आग से खेलने जैसा है। भगवान की खातिर… कृपया ऐसा न करें।’अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने बताया कि चीन ने डब्‍ल्‍यूएचओ को 4.2 करोड़ डॉलर की मदद दी है, वहीं अमेरिका ने डब्‍ल्‍यूएचओ को 45 करोड़ डॉलर से ज्‍यादा की मदद की है। इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस ने इस वित्‍तीय वर्ष के लिए 12.2 करोड़ डॉलर की मदद का ऐलान किया था। वहीं ट्रंप ने मात्र 5.8 करोड़ के बजट का प्रस्‍ताव दिया था। अब ट्रंप ने डब्‍ल्‍यूएचओ को दी जानी वाली सहायता पर बैन लगाने जा रहे हैं।

दरअसल, डब्‍ल्‍यूएचओ की फंडिंग का अमेरिका सबसे बड़ा जरिया है। डब्ल्यूएचओ ने 2019-2023 के लिए 14.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2018 के आंकड़ों पर नजर डालें तो अमेरिका डब्‍ल्‍यूएचओ की कुल फंडिंग का 24 प्रतिशत हिस्‍सा देता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर भी अमेरिका के मशहूर उद्योगपति बिल गेट्स का फाउंडेशन है जो 14 फीसदी की मदद करता है। चीन डब्‍ल्‍यूएचओ के कुल बजट में मात्र 2 प्रतिशत की ही मदद करता है। अमेरिका और बिल गेट्स के बाद ब्रिटेन तीसरे नंबर पर है
कोरोना महामारी के इस दौर में डब्‍ल्‍यूएचओ की दुनियाभर में जमकर आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि अगर डब्‍ल्‍यूएचओ ने सही समय पर सूचना दी होती तो कोरोना संकट को रोका जा सकता था। अमेरिकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर जिम रिच ने कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ के तौर तरीकों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘डब्ल्यूएचओ न केवल अमेरिकी लोगों के लिए नाकाम हुआ बल्कि वह कोविड-19 से निपटने में घोर लापरवाही के साथ विश्व के मोर्चे पर भी नाकाम हुआ।’ करीब 24 सांसदों के एक द्विदलीय समूह ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस गेब्ररेयेसुस के इस्तीफा देने तक डब्ल्यूएचओ की निधि रोकने वाला प्रस्ताव लाने का मंगलवार को एलान किया है।

मालूम हो विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र की विशेषज्ञ एजेंसी है। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो आमतौर पर सदस्‍य देशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालयों के जरिए उनके साथ मिलकर काम करता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) दुनिया में स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मामलों में नेतृत्‍व प्रदान करने, स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान अजेंडा को आकार देने, नियम और मानक तय करने, प्रमाण आधारित नीतिगत विकल्‍प पेश करने का काम करता है। लेकिन इस बीच WHO पर कई गंभीर आरोप लगाए गए पूरी दुनिया में ही WHO की निंदा हो रही है

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